अटल बिहारी वाजपेयी
अटल बिहारी वाजपेयी (२५ दिसंबर १९२४ – १६ अगस्त २०१८) भारत के दसवें प्रधानमंत्री थे। वे पहले १६ मई से १ जून १९९६ तक, तथा फिर १९ मार्च १९९८ से २२ मई २००४ तक भारत के प्रधानमंत्री रहे।[1] वे हिन्दी कवि, पत्रकार व एक प्रखर वक्ता थे।[2] वे भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में एक थे, और १९६८ से १९७३ तक उसके अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया।
आरम्भिक जीवन
उत्तर प्रदेश में आगरा जनपद के प्राचीन स्थान बटेश्वर के मूल निवासी पण्डित कृष्ण बिहारी वाजपेयी मध्य प्रदेश की ग्वालियर रियासत में अध्यापक थे। वहीं शिन्दे की छावनी में २५ दिसम्बर १९२४[5] को ब्रह्ममुहूर्त में उनकी सहधर्मिणी कृष्णा वाजपेयी की कोख से अटल जी का जन्म हुआ था। पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर में अध्यापन कार्य तो करते ही थे इसके अतिरिक्त वे हिन्दी व ब्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि[6] भी थे। पुत्र में काव्य के गुण वंशानुगत परिपाटी से प्राप्त हुए। महात्मा रामचन्द्र वीर द्वारा रचित अमर कृति "विजय पताका" पढ़कर अटल जी के जीवन की दिशा ही बदल गयी। अटल जी की बी॰ए॰ की शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज (वर्तमान में लक्ष्मीबाई कालेज) में हुई। छात्र जीवन से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने और तभी से राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे।
कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति शास्त्र में एम॰ए॰ की परीक्षा प्रथम श्रेणी[7] में उत्तीर्ण की।[8] उसके बाद उन्होंने अपने पिताजी के साथ-साथ कानपुर में ही एल॰एल॰बी॰ की पढ़ाई भी प्रारम्भ की लेकिन उसे बीच में ही विराम देकर पूरी निष्ठा से संघ के कार्य में जुट गये। डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के निर्देशन में राजनीति का पाठ तो पढ़ा ही, साथ-साथ पाञ्चजन्य, राष्ट्रधर्म, दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन जैसे पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन का कार्य[9] भी कुशलता पूर्वक करते रहे।
सर्वतोमुखी विकास के लिये किये गये योगदान तथा असाधारण कार्यों के लिये 2015 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
मृत्यु
वाजपेयी को २००९ में एक दौरा पड़ा था, जिसके बाद वह बोलने में असक्षम हो गए थे।[13] उन्हें ११ जून २०१८ में किडनी में संक्रमण और कुछ अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था, जहाँ १६ अगस्त २०१८ को शाम ०५:०५ बजे उनकी मृत्यु हो गयी। उन्हें अगले दिन १७ अगस्त को हिंदू रीति रिवाज के अनुसार उनकी दत्तक पुत्री नमिता कौल भट्टाचार्या ने उन्हें मुखाग्नि दी। उनका समाधि स्थल राजघाट के पास शान्ति वन में बने स्मृति स्थल में बनाया गया है।उनकी अंतिम यात्रा बहुत भव्य तरीके से निकाली गयी। जिसमे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत सैंकड़ों नेता गण पैदल चलते हुए गंतव्य तक पहुंचे। वाजपेयी के निधन पर भारत भर में सात दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गयी।अमेरिका, चीन, बांग्लादेश, ब्रिटेन, नेपाल और जापान समेत विश्व के कई राष्ट्रों द्वारा उनके निधन पर दुःख जताया गया।अटल जी की अस्थियों को देश की सभी प्रमुख नदियों में विसर्जित किया गया।
अटल जी की प्रमुख रचनायें
उनकी कुछ प्रमुख प्रकाशित रचनाएँ इस प्रकार हैं :
- रग-रग हिन्दू मेरा परिचय
- मृत्यु या हत्या
- अमर बलिदान (लोक सभा में अटल जी के वक्तव्यों का संग्रह)
- कैदी कविराय की कुण्डलियाँ
- संसद में तीन दशक
- अमर आग है
- कुछ लेख: कुछ भाषण
- सेक्युलर वाद
- राजनीति की रपटीली राहें
- बिन्दु बिन्दु विचार, इत्यादि।
- मेरी इक्यावन कविताएँ
पुरस्कार
- १९९२: पद्म विभूषण
- १९९३: डी लिट (कानपुर विश्वविद्यालय)
- १९९४: लोकमान्य तिलक पुरस्कार
- १९९४: श्रेष्ठ सासंद पुरस्कार
- १९९४: भारत रत्न पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार
- २०१५ : डी लिट (मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय)
- २०१५ : 'फ्रेंड्स ऑफ बांग्लादेश लिबरेशन वार अवॉर्ड', (बांग्लादेश सरकार द्वारा प्रदत्त)
- २०१५ : भारतरत्न से सम्मानित