११. काल

काल

क्रिया के जिस रूप से कार्य करने या होने के समय का ज्ञान होता है उसे 'काल' कहते है।
दूसरे शब्दों में- क्रिया के उस रूपान्तर को काल कहते है, जिससे उसके कार्य-व्यापर का समय और उसकी पूर्ण अथवा अपूर्ण अवस्था का बोध हो।
जैसे-
(1)बच्चे खेल रहे हैं। मैडम पढ़ा रही हैं।
(2)बच्चे खेल रहे थे। मैडम पढ़ा रही थी।
(3)बच्चे खेलेंगे। मैडम पढ़ायेंगी।
पहले वाक्य में क्रिया वर्तमान समय में हो रही है। दूसरे वाक्य में क्रिया पहले ही समाप्त हो चुकी थी तथा तीसरे वाक्य की क्रिया आने वाले समय में होगी। इन वाक्यों की क्रियाओं से कार्य के होने का समय प्रकट हो रहा है।

काल के भेद-

काल के तीन भेद होते है-
(1)वर्तमान काल (present Tense) - जो समय चल रहा है।
(2)भूतकाल(Past Tense) - जो समय बीत चुका है।
(3)भविष्यत काल (Future Tense)- जो समय आने वाला है।

(1) वर्तमान काल:- क्रिया के जिस रूप से वर्तमान में चल रहे समय का बोध होता है, उसे वर्तमान काल कहते है।
जैसे- पिता जी समाचार सुन रहे हैं।
पुजारी पूजा कर रहा है।
प्रियंका स्कूल जाती हैं।
उपर्युक्त वाक्यों में क्रिया के वर्तमान समय में होने का पता चल रहा है। अतः ये सभी क्रियाएँ वर्तमान काल की क्रियाएँ हैं।
वर्तमान कल की पहचान के लिए वाक्य के अन्त में 'ता, ती, ते, है, हैं' आदि आते है।

वर्तमान काल के भेद

वर्तमान काल के पाँच भेद होते है-
(i)सामान्य वर्तमानकाल
(ii)अपूर्ण वर्तमानकाल
(iii)पूर्ण वर्तमानकाल
(iv)संदिग्ध वर्तमानकाल
(v)तत्कालिक वर्तमानकाल
(vi)संभाव्य वर्तमानकाल

(i)सामान्य वर्तमानकाल(Present Indefinite) :-क्रिया का वह रूप जिससे क्रिया का वर्तमानकाल में होना पाया जाय, 'सामान्य वर्तमानकाल' कहलाता है।
दूसरे शब्दों में- जो क्रिया वर्तमान में सामान्य रूप से होती है, वह सामान्य वर्तमान काल की क्रिया कहलाती है।
क्रिया के जिस रूप से सामान्यतः यह प्रकट हो कि कार्य का समय वर्तमान में है, न कार्य के अपूर्ण होने का संकेत मिले न संदेह का, वहाँ सामान्य वर्तमान होता है।
क्रिया के जिस रूप से कार्य की पूर्णता और अपूर्णता का पता न चले उसे सामान्य वर्तमान काल कहते हैं।
दूसरे शब्दों में - जिस क्रिया से क्रिया के सामान्य रूप का वर्तमान में होने का पता चलता है, उसे सामान्य वर्तमान काल कहते हैं। जिन वाक्यों के अंत में ता है, ती है, ते है, ता हूँ, ती हूँ आदि आते हैं उसे सामान्य वर्तमान काल कहते है।
जैसे -
गरिमा कविता लिखती है।
चिडि़या आसमान में उड़ती है।'बच्चा खिलौनों से खेलता है'।
वाक्य में 'खेलना' प्रस्तुत समय में है, किन्तु न तो वह अपूर्ण है और न ही अनिश्चित, अतः यहाँ सामान्य वर्तमान काल है।
कुछ अन्य उदाहरण देखिए-
वह पुस्तक पढ़ता है।
माली पौधों को पानी देता है।
हवा चलती है

(ii)अपूर्ण वर्तमानकाल(Present Continuous):- क्रिया के जिस रूप से यह बोध हो कि वर्तमान काल में कार्य अभी पूर्ण नहीं हुआ, वह चल रहा है, उसे अपूर्ण वर्तमान कहते हैं।
उदाहरण के लिए- 'मोहन विद्यालय जा रहा है'
वाक्य में जाने का कार्य अभी हो रहा है, मोहन विद्यालय पहुँचा नहीं है। अतः यहाँ अपूर्ण वर्तमान है।
अपूर्ण का अर्थ होता है – अधुरा। क्रिया के जिस रूप से कार्य के लगातार होने का पता चलता है, उसे अपूर्ण वर्तमान काल कहते है। जिन वाक्यों के अंत में रहा है, रहे है, रही है, रहा हूँ आदि आते है, उसे अपूर्ण वर्तमान काल कहते हैं।
जैसे -
श्याम गेंद खेल रहा है।
वह घर जा रहा है।
गाडी आ रही है ।
हम कपड़े पहन रहे हैं ।
अनीता गीत गा रही है।
वर्षा हो रही है।
पत्र भेजा जा रहा है ।
अनुराग लिख रहा है।

(iii)पूर्ण वर्तमानकाल(Present Perfect):- इससे वर्तमानकाल में कार्य की पूर्ण सिद्धि का बोध होता है।क्रिया के जिस रूप से कार्य के अभी पूरे होने का पता चलता है। उसे पूर्ण वर्तमान काल कहते है। इसमें हमें कार्य की पूर्ण सिद्धि का पता चलता है।
जैसे -
मैंने फल खाए हैं।
उसने गेंद खेली है।
नकर आया है।
पत्र भेज गया ह
वह आया है।
राम ने खाया है।
सीता ने पुस्तक पढ़ी है।


(iv)संदिग्ध वर्तमानकाल(Present Doubtful):- जिससे क्रिया के होने में सन्देह प्रकट हो, पर उसकी वर्तमानकाल में सन्देह न हो। उसे संदिग्ध वर्तमानकाल कहते हैं।
क्रिया के जिस रूप से वर्तमान काल क्रिया के होने या करने पर शक हो, उसे संदिग्ध वर्तमान काल कहते है। अथार्त जिन वाक्यों के अंत में ता होगा, ती होगी, ते होंगे आदि आते हैं, उसे संदिग्ध वर्तमान काल कहते हैं।
सरल शब्दों में- जिस क्रिया के वर्तमान समय में पूर्ण होने में संदेह हो, उसे संदिग्ध वर्तमानकाल कहते हैं।
जैसे- 'माँ खाना बना रही होगी। वाक्य में 'रही होगी' से खाना बनाने के कार्य को निश्चित रूप से नहीं कहा गया, उसमें संदेह की स्थिति बनी हुई है, अतः यहाँ संदिग्ध वर्तमान है।
अन्य उदाहरण-
राम पढ़ता होगा।
वह खाता होगा ।
हलवाई मिठाई बनाता होगा।
आज विद्यालय खुला होगा।
वह सोता होगा ।
माँ खाना बना रही होगी।
वाक्य में 'रही होगी' से खाना बनाने के कार्य को निश्चित रूप से नहीं कहा गया, उसमें संदेह की स्थिति बनी हुई है, अतः यहाँ संदिग्ध वर्तमान है।
(v)तत्कालिक वर्तमानकाल:- क्रिया के जिस रूप से यह पता चलता है कि कार्य वर्तमानकाल में हो रही है उसे तात्कालिक वर्तमानकाल कहते हैं।
क्रिया के जिस रूप से यह पता चलता हो कि कार्य वर्तमान में हो रहा है, उसे तात्कालिक वर्तमान काल कहते हैं। इसमें बोलते समय क्रिया का व्यापार चलता रहता है। इसमें इसकी पूर्णता का पता नहीं चलता है।
जैसे -
मैं पढ़ रहा हूँ।
वह जा रहा है।
हम कपड़े पहन रहे हैं।



(vi)सम्भाव्य वर्तमानकाल :- इससे वर्तमानकाल में काम के पूरा होने की सम्भवना रहती है। उसे सम्भाव्य वर्तमानकाल कहते हैं।
संभाव्य का अर्थ होता है संभावित या जिसके होने की संभावना हो।
जैसे- वह आया है।
वह लौटा हो।
वह चलता हो।
वह आया हो।
उसने खाया हो।


(2)भूतकाल :- क्रिया के जिस रूप से बीते हुए समय का बोध होता है, उसे भूतकाल कहते है।
सरल शब्दों में- जिससे क्रिया से कार्य की समाप्ति का बोध हो, उसे भूतकाल की क्रिया कहते हैं।
जैसे- वह खा चुका था; राम ने अपना पाठ याद किया; मैंने पुस्तक पढ़ ली थी।
उपर्युक्त सभी वाक्य बीते हुए समय में क्रिया के होने का बोध करा रहे हैं। अतः ये भूतकाल के वाक्य है।
भूतकाल को पहचानने के लिए वाक्य के अन्त में 'था, थे, थी' आदि आते हैं।

भूतकाल के भेद

भूतकाल के छह भेद होते है-
(i)सामान्य भूतकाल (Simple Past)
(ii)आसन भूतकाल (Recent Past)
(iii)पूर्ण भूतकाल (Complete Past)
(iv)अपूर्ण भूतकाल (Incomplete Past)
(v)संदिग्ध भूतकाल (Doubtful Past)
(vi)हेतुहेतुमद् भूत (Conditional Past)

(i)सामान्य भूतकाल(Simple Past):- जिससे भूतकाल की क्रिया के विशेष समय का ज्ञान न हो, उसे सामान्य भूतकाल कहते हैं।
दूसरे शब्दों में-क्रिया के जिस रूप से काम के सामान्य रूप से बीते समय में पूरा होने का बोध हो, उसे सामान्य भूतकाल कहते हैं।
जब क्रिया के होने की समाप्ति सामान्य रूप से बीते हुए समय में होती है, किन्तु इससे यह बोध नहीं होता कि क्रिया समाप्त हुए थोड़ी देर हुई है या अधिक वहाँ सामान्य भूत होता है। इस दौरान हम यह निश्चित नहीं कर सकते कि भूतकाल में यह कार्य किस समय किया गया है और जिन वाक्यों के अंत में आ, ई, ए, था, थी, थे आते हैं, वे सामान्य भूतकाल होता है।
जैसे -
जैसे- मोहन आया।
सीता गयी।
नेता जी ने भाषण दिया।
अकबर ने पुस्तक पढ़ी।
कुसुम घर गयी।
श्रीराम ने रावण को मारा

उपर्युक्त वाक्यों की क्रियाएँ बीते हुए समय में पूरी हो गई। अतः ये सामान्य भूतकाल की क्रियाएँ हैं।

(ii)आसन्न भूतकाल(Recent Past):-क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि क्रिया अभी कुछ समय पहले ही पूर्ण हुई है, उसे आसन्न भूतकाल कहते हैं।आसन्न का अर्थ होता है -निकट। जिस क्रिया के अभी-अभी या निकट के भूतकाल में पूरा होने का पता चले उसे आसन्न भूतकाल कहते हैं। अथार्त क्रिया के जिस रूप से हमें यह पता चले की क्रिया अभी कुछ समय पहले ही पूर्ण हुई है उसे आसन्न भूतकाल कहते हैं।
जैसे-
मैने आम खाया है।
मैं अभी सोकर उठी हूँ।
कमल गया है।जैसे- मैने आम खाया हैं।
मैं अभी सोकर उठी हूँ।
अध्यापिका पढ़ाकर आई हैं।
उपर्युक्त वाक्यों की क्रियाएँ अभी-अभी पूर्ण हुई हैं। इससे क्रिया की समाप्ति निकट भूत में या तत्काल ही सूचित होती है। इसलिए ये आसन्न भूतकाल की क्रियाएँ हैं।

(iii)पूर्ण भूतकाल(Complete Past):- क्रिया के उस रूप को पूर्ण भूत कहते है, जिससे क्रिया की समाप्ति के समय का स्पष्ट बोध होता है कि क्रिया को समाप्त हुए काफी समय बीता है।
दूसरे शब्दों में- क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि कार्य पहले ही पूरा हो चुका है, उसे पूर्ण भूतकाल कहते हैं।
क्रिया के जिस रूप से यह पता चलता है की कार्य निश्चित किये गये समय से पहले ही पूरा हो चूका था, उसे पूर्ण भूतकाल कहते हैं।
दूसरे शब्दों में - कार्य के पूर्ण होने के स्पष्ट बोध को पूर्ण भूतकाल कहते हैं। जिन वाक्यों के अंत में था, थी, थे, चूका था, चुकी थी, चुके थे आदि आते हैं, वो पूर्ण भूतकाल होता है।
जैसे –
उसने श्याम को मारा था।
अंग्रेजों ने भारत पर राज किया था।
वरुण ने कहानी लिखी थी।
राम ने खाना बनाया था।
हम घूमने गए थे।
महादेवी वर्मा ने संस्मरण लिखे थे।
उपर्युक्त वाक्यों में क्रियाएँ अपने भूतकाल में पूर्ण हो चुकी थीं। अतः ये पूर्ण भूतकाल की क्रियाएँ हैं।

पूर्ण भूतकाल में क्रिया के साथ 'था, थी, थे, चुका था, चुकी थी, चुके थे आदि लगता है।

(iv)अपूर्ण भूतकाल(Incomplete Past):- जिस क्रिया से यह ज्ञात हो कि भूतकाल में कार्य सम्पन्न नहीं हुआ था - अभी चल रहा था, उसे अपूर्ण भूत कहते हैं। क्रिया के जिस रूप से यह पता चलता है कि कार्य भूतकाल में पूरा नहीं हुआ था अपितु नियमित रूप से जारी रहा, उसे अपूर्ण भूतकाल कहते हैं।अथार्त क्रिया के जिस रूप से कार्य के भूतकाल में शुरू होने का पता चले लेकिन खत्म होने का पता न चले, उसे अपूर्ण भूतकाल कहते हैं। जिन वाक्यों के अंत में रहा था, रही थी, रहे थे आदि आते हैं, वे अपूर्ण भूतकाल होते हैं।
 जैसे -
मोहन मैदान में घूम रहा था।
वह हॉकी खेल रहा था।
सुनील पढ़ रहा था।
सुरेश गीत गा रहा था।
रीता सो रही थी।
उपर्युक्त वाक्यों में क्रियाएँ से कार्य के अतीत में आरंभ होकर, अभी पूरा न होने का पता चल रहा है। अतः ये अपूर्ण भूतकाल की क्रियाएँ हैं।
(v)संदिग्ध भूतकाल(Doubtful Past):- भूतकाल की जिस क्रिया से कार्य होने में अनिश्चितता अथवा संदेह प्रकट हो, उसे संदिग्ध भूतकाल कहते है।
भूतकाल की जिस क्रिया से कार्य होने में अनिश्चितता अथवा संदेह प्रकट हो, उसे संदिग्ध भूतकाल कहते है। इसमें यह सन्देह बना रहता है कि भूतकाल में कार्य पूरा हुआ या नही। क्रिया के जिस रूप से अतीत में हुए या करे हुए कार्य पर संदेह प्रकट किया जाये, उसे संदिग्ध भूतकाल कहते हैं। जिन वाक्यों के अंत में गा, गे, गी आदि आते हैं, वे संदिग्ध भूतकाल होते हैं।इसमें यह सन्देह बना रहता है कि भूतकाल में कार्य पूरा हुआ या नही।
जैसे -
तू गाया होगा।
बस छूट गई होगी।
दुकानें बंद हो चुकी होगी।तू गाया होगा।
बस छूट गई होगी।
दुकानें बंद हो चुकी होगी।
उपर्युक्त वाक्यों की क्रियाएँ से भूतकाल में काम पूरा होने में संदेह का पता चलता है। अतः ये संदिग्ध भूतकाल की क्रियाएँ हैं।

(vi)हेतुहेतुमद् भूतकाल(Conditional Past):- यदि भूतकाल में एक क्रिया के होने या न होने पर दूसरी क्रिया का होना या न होना निर्भर करता है, तो वह हेतुहेतुमद् भूतकाल क्रिया कहलाती है। 'हेतु' का अर्थ है - कारण। जहाँ भूतकाल में किसी कार्य के न हो सकने का वर्णन कारण के साथ दो वाक्यों में दिया गया हो, वहाँ हेतुहेतुमद् भूतकाल होता है। इससे यह पता चलता है कि क्रिया भूतकाल में होनेवाली थी, पर किसी कारण न हो सका।क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि कार्य हो सकता था लेकिन दूसरे कार्य की वजह से हुआ नहीं, उसे हेतुहेतुमद् भूतकाल कहते हैं।
जैसे -
यदि वर्षा होती तो फसल अच्छी होती।
यदि मैं आता तो वह चला जाता।
यदि श्याम ने पत्र लिखा होता तो वह अवश्य आता।

इससे यह पता चलता है कि क्रिया भूतकाल में होनेवाली थी, पर किसी कारण न हो सका।
यदि तुमने परिश्रम किया होता, तो पास हो जाते।
यदि वर्षा होती, तो फसल अच्छी होती।
उपर्युक्त वाक्यों की क्रियाएँ एक-दूसरे पर निर्भर हैं। पहली क्रिया के न होने पर दूसरी क्रिया भी पूरी नहीं होती है। अतः ये हेतुहेतुमद् भूतकाल की क्रियाएँ हैं।
(3)भविष्यत काल:-भविष्य में होनेवाली क्रिया को भविष्यतकाल की क्रिया कहते है।
दूसरे शब्दो में- क्रिया के जिस रूप से काम का आने वाले समय में करना या होना प्रकट हो, उसे भविष्यतकाल कहते है।
जैसे- वह कल घर जाएगा।
हम सर्कस देखने जायेंगे।
किसान खेत में बीज बोयेगा।
उपर्युक्त वाक्यों की क्रियाएँ से पता चलता है कि ये सब कार्य आने वाले समय में पूरे होंगे। अतः ये भविष्यत काल की क्रियाएँ हैं।
भविष्यत काल की पहचान के लिए वाक्य के अन्त में 'गा, गी, गे' आदि आते है।

भविष्यत काल के भेद

भविष्यतकाल के तीन भेद होते है-
(i)सामान्य भविष्यत काल
(ii)सम्भाव्य भविष्यत काल
(iii)हेतुहेतुमद्भविष्य भविष्यत काल
(i)सामान्य भविष्यत काल :- क्रिया के जिस रूप से उसके भविष्य में सामान्य ढंग से होने का पता चलता है, उसे सामान्य भविष्यत काल कहते हैं।
इससे यह प्रकट होता है कि क्रिया सामान्यतः भविष्य में होगी।
जैसे- बच्चे कैरमबोर्ड खेलेंगे।
वह घर जायेगा।
दीपक अख़बार बेचेगा।
उपर्युक्त वाक्यों में क्रियाएँ भविष्य में सामान्य रूप से काम के होने की सूचना दे रही हैं। अतः ये सामान्य भविष्यत काल की क्रियाएँ हैं।
(ii)सम्भाव्य भविष्यत काल:-क्रिया के जिस रूप से उसके भविष्य में होने की संभावना का पता चलता है, उसे सम्भाव्य भविष्यत काल कहते हैं।
जिससे भविष्य में किसी कार्य के होने की सम्भावना हो।
जैसे- शायद चोर पकड़ा जाए।
परीक्षा में शायद मुझे अच्छे अंक प्राप्त हों।
हो सकता है कि मैं कल वहाँ जाऊँ।
उपर्युक्त वाक्यों में क्रियाओं के भविष्य में होने की संभावना है। ये पूर्ण रूप से होंगी, ऐसा निश्चित नहीं होता। अतः ये सम्भाव्य भविष्यत काल की क्रियाएँ हैं।
(iii)हेतुहेतुमद्भविष्य भविष्यत काल:- क्रिया के जिस रूप से एक कार्य का पूरा होना दूसरी आने वाले समय की क्रिया पर निर्भर हो उसे हेतुहेतुमद्भविष्य भविष्य काल कहते है।
जैसे- वह आये तो मै जाऊ।
वह कमाये तो मैं खाऊँ।
जो कमाए सो खाए।
वह पढ़ेगा तो सफल होगा।