अनिल जनविजय
अनिल जनविजय (२८ जुलाई १९५७), हिन्दी कवि-लेखक
और रूसी और अंग्रेज़ी भाषाओं से हिन्दी में दुनिया भर के साहित्य का अनुवादक हैं। उन्होंने
दिल्ली विश्वविद्यालय से बी.कॉम और
मॉस्को स्थित गोर्की साहित्य संस्थान से सृजनात्मक साहित्य विषय में एम० ए० किया। इन दिनों मॉस्को विश्वविद्यालय में
हिंदी साहित्य का अध्यापन और रेडियो रूस का हिन्दी डेस्क देख रहे हैं।
जीवन वृत्त
२८
जुलाई १९५७, बरेली (उत्तर प्रदेश) में एक निम्न-मध्यवर्गीय परिवार में
जन्म। प्रारम्भिक शिक्षा बरेली स्थित केन्द्रीय विद्यालय में। माँ की
मृत्यु के बाद दादा-दादी के पास दिल्ली आ गए। १९७७ में दिल्ली
विश्वविद्यालय से बी.कॉम, फिर हिन्दी में एम. ए.। १९८० में जवाहरलाल नेहरू
विश्वविद्यालय की रूसी भाषा और साहित्य फेकल्टी में एम०ए० में प्रवेश। १९८२
में उच्च अध्ययन के लिए सोवियत सरकार की छात्रवृत्ति पाकर मास्को
विश्वविद्यालय पहुँचे। फिर १९८९ में मास्को स्थित गोर्की लिटरेरी
इंस्टीटयूट से सर्जनात्मक लेखन में एम०ए०। १९८३ से १९९२ तक मास्को रेडिओ की
हिन्दी प्रसारण सेवा से जुड़े रहे। १९९६ से मास्को विश्वविद्यालय (रूस)
में ’हिन्दी साहित्य’ और ’अनुवाद’ का अध्यापन।
साहित्यिक यात्रा
१९७६
में पहली कविता लिखी। १९७७ में पहली बार साहित्यिक पत्रिका लहर में
कविताएँ प्रकाशित। १९७८ में 'पश्यन्ती' के कवितांक में कविताएँ सम्मिलित।
१९८२ में पहला कविता संग्रह 'कविता नहीं है यह' प्रकाशित।
कृतियाँ
- कविता संग्रह- कविता नहीं है यह' (1982), 'माँ, बापू कब आएंगे' (1990), 'राम जी भला करें' (2004)
- अनुवाद संग्रह -फ़िलिस्तीनी कविताएँ, 'माँ की मीठी आवाज़'
(अनातोली पारपरा), 'तेरे क़दमों का संगीत' (ओसिप मंदेलश्ताम), 'सूखे होंठों
की प्यास' (ओसिप मंदेलश्ताम), 'धूप खिली थी और रिमझिम वर्षा' (येव्गेनी
येव्तुशेंको), 'यह आवाज़ कभी सुनी क्या तुमने' (अलेक्जेंडर पुश्किन), 'चमकदार आसमानी आभा' (इवान बूनिन)