जयशंकर प्रसाद
(३० जनवरी १८८९ - १५ नवंबर १९३७)
जन्म:- माघ शुक्ल 10, संवत् 1946 वि०(तदनुसार 30 जनवरी 1889ई० दिन-गुरुवार) को काशी के सरायगोवर्धन में हुआ।
पितामह :- बाबू शिवरतन साहू
पिता :- बाबू देवीप्रसाद जी
कृतियाँ
काव्य ;-
- कानन कुसुम
- महाराणा का महत्व
- झरना (1918)
- आंसू
- लहर
- कामायनी (1935)
- प्रेम पथिक
कहानी :-
उपन्यास ;-
1.'कंकाल', में नागरिक सभ्यता का अंतर यथार्थ उद्घाटित किया गया है। यथार्थवादी उन्यास हैं
2.'तितली' में ग्रामीण जीवन के सुधार के संकेत हैं। आदर्शोन्मुख यथार्थ है।
3.'इरावती' ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर लिखा गया इनका अधूरा उपन्यास है जो रोमांस के कारण ऐतिहासिक रोमांस के उपन्यासों में विशेष आदर का पात्र है।
नाटक-
प्रसाद ने आठ ऐतिहासिक, तीन पौराणिक और दो भावात्मक, कुल 13 नाटकों की सर्जना की।
- स्कंदगुप्त
- चंद्रगुप्त
- ध्रुवस्वामिनी
- जन्मेजय का नाग यज्ञ
- राज्यश्री
- कामना
- एक घूंट
पुरस्कार :-
जयशंकर प्रसाद को 'कामायनी' पर मंगलाप्रसाद पारितोषिक प्राप्त
हुआ था।